अजनबी
क्या तुम मेरी परछाई हो कुछ खास बताने आई हो या तुम कोई तन्हाई हो मुझसे बतियाने आई हो शायद तुम मेरा माज़ी हो जो मुझसे मिलने राज़ी हो या…
क्या तुम मेरी परछाई हो कुछ खास बताने आई हो या तुम कोई तन्हाई हो मुझसे बतियाने आई हो शायद तुम मेरा माज़ी हो जो मुझसे मिलने राज़ी हो या…
ज़िन्दगी अपनी खूबसूरत है इसे किसकी अब ज़रूरत है वफ़ा इख़्लास हिज्र क़ुर्बानी यही एहसास तो मुहब्बत है रूह को रूह से जुदा कर दे हिज्र की इन्तेहाँ…
This Hindi Poem, express the bond of friendship , which remains forever, however far we have moved on.