Hindi kavitayen –
मन के वो द्वार आज खोल दिए जो बरसो तक बंद रखे थे,
गुमनामी के कुछ दौर, ज़िन्दगी के वो सवाल, जो कबसे इनमे बंद रखे थे,
कुछ के जवाब भीतर से ही मिल गए और कुछ सवाल हमेशा के लिए सवाल बनकर ही रहे गए,
न जाने कहा चला गया वो दौर जिसमे हम भी मुस्कुराते थे, अपनी आज़ादी को महसूस करके खुले आसमान में उड़ जाते थे,
आज याद करके वही आज़ादी को मन विचलित होता है, कुछ जिम्मेदारियों के बोज तले घुटके ये रोता है,
पर तू उदास मत होना ए ‘ज़िन्दगी’, आऊंगा कभी वही पुरानी यादे लेकर,
मन की वो आज़ादी का एहसास जो कहीं खो गया है वो लेकर,
भर लूंगा तुझे अपनी बाँहों में कभी ना छोड़ने के लिए और जीत जाऊंगा इस दौर को,
जो मुझसे हमेशा बंधा हुआ, घुटा हुआ और दुनिया से अलग कर रहा है !
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हर बार वो मेरे पास आकर मुझसे कुछ कहती थी,
ख़ुशी हो या गम हमेशा मुश्कुराती रहती थी ,
कभी दुसरो की ख़ुशी में अपने गम भुलाकर झूम लेती थि.
चाहती थी नसीब से कुछ और पर कुछ और ही वो पा लेती थी,
अंधेरो से घिरे इस कमरे में आशाओं के दीप जला लेती थी ,
कोशिशें तो बहोत की उसने आशा की किरण पाने की ,
पर हर बार उसके पास जाते ही वो किरने कहीं खो जाती थी.
खुशबू के खो जाने के बाद भी बागीचे को महकाती थी ,
किसी के दूर जाने के बाद भी उसकी यादों को सजाती थी ,
चाहत तो उसे कभी नहीं मिली फिर भी वो सबको चाहती थी ,
टूटे हुए इस दिल को हमेशा प्यार से सहलाती थी।
हर एक हार के बाद भी हमेशा वो गिर कर उठ जाती थी,
पुरानी मात को भुलाकर हमेशा चुनौतीयो को अपनाती थी ,
पूछना तो हमने बहोत चाहा उसका नाम कभी नहीं बतलाती थी ,
एकबार खुद से ही उसने बताया के मौत से पहले मैं ज़िंदगी कहलाती थी.
Jignesh Modi
Founder and CEO at Sportzride
Singer, Writer, Blogger
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