उर्दू नज्मे
तेरा ख़याल Urdu Poetry By Sujay Phatak (मुनफ़रिद की कलम से) तेरी यादों के साये में छिप कर मता-ए-जाँ मैं कभी तन्हा नहीं रहता तेरी अखड़ियों में ग़ुम हो…
तेरा ख़याल Urdu Poetry By Sujay Phatak (मुनफ़रिद की कलम से) तेरी यादों के साये में छिप कर मता-ए-जाँ मैं कभी तन्हा नहीं रहता तेरी अखड़ियों में ग़ुम हो…
अब बड़े हो गए ज़िम्मेदारियों से भर गए, बचपन में निश्चिन्त बड़ी ख़ुशी ख़ुशी रहा करते थे, ना कोई ज़िम्मेदारी का अहसास था ना किसी चीज़ की फ़िकर, बस ख़ुद की ही दुनिया में मश्रूफ रहा करते थे, कोई तो लौटा दे वो बचपन मुझे अब, जो ना जाने कही खो गया है।