क्या तुम मेरी परछाई हो
कुछ खास बताने आई हो
या तुम कोई तन्हाई हो
मुझसे बतियाने आई हो
शायद तुम मेरा माज़ी हो
जो मुझसे मिलने राज़ी हो
या फिर तुम कोई गाज़ी हो
जो खेल रही एक बाज़ी हो
सच सच बतलाना कौन हो तुम
क्यों देख के मुझको मौन हो तुम
तुम सच्चाई हो जीवन की
या ज़हन का मेरे ख़्वाब हो तुम
जो बिछड़ गया था सदियों में
बोलो क्या वो अहबाब हो तुम
जो ढूँढ रहा हूँ बरसो से वो
उलझा हुआ जवाब हो तुम
मैं भाग रहा हूँ छोड़ के जो
सच बोलो वही नक़ाब हो तुम
अब तो बतला दो कौन हो तुम
क्यों देख के मुझको मौन हो तुम
Sujay Phatak
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