बचपन
Short Hindi Poems
माँ की लोरी और पिताजी का प्यार,
दादा दादी चाचा चाची का लाड़ सब आज आते है याद,
वो बचपन जाने कहा खो गया है………………….
भाई बहन का लड़ना झगड़ना एक दूसरे को चिढ़ाना,
फिर आपस में कुछ देर बाद ख़ुद ही हँसी ख़ुशी मिल जाना,
वो बचपन ना जाने कहा खो गया है…………………….
जब हम गलियों में खेला करते थे अपने दोस्तों के साथ,
घंटों खेलने पर भी मन भरता नहीं था ख़ास,
वो बचपन ना जाने कहा खो गया है……………………….
गरमी आने का इंतज़ार करना फिर
नाना नानी मामा मामी के घर जाकर धमाचौकड़ी मचाना।
मस्ती करने पर भी डाँट ना पड़ना,
वो बचपन ना जाने कहा खो गया है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
तीज त्योहारों पर छुट्टियों का इंतज़ार करना,
फिर घरवालों और दोस्तों के साथ कई दिन बड़े उत्साह से उन्हें मनाना,
वो बचपन ना जाने कहा खो गया है………………
अब बड़े हो गए ज़िम्मेदारियों से भर गए,
बचपन में निश्चिन्त बड़ी ख़ुशी ख़ुशी रहा करते थे,
ना कोई ज़िम्मेदारी का अहसास था ना किसी चीज़ की फ़िकर,
बस ख़ुद की ही दुनिया में मश्रूफ रहा करते थे,
कोई तो लौटा दे वो बचपन मुझे अब,
जो ना जाने कही खो गया है।
ए दोस्त!
ए दोस्त, तेरी दोस्ती का इस जहाँ में कोई मोल नहीं।
तू इस दुनिया में सबसे अलग जिसका कोई मोल नहीं।
दिन गुज़रे महीने गुज़रे और गुज़र गए साल ।
लेकिन यह दोस्त ने कभी साथ मेरा छोड़ा नहीं।
तू वहाँ मैं यहाँ फिर भी फ़ासले नहीं दरमियाँ।
बस यही दुआ रब से तू यूँही हमेशा रहे मुस्कुरा।
बचपन में जब हँसते थे साथ साथ रोते भी थे
हँसते गाते कटी ज़िंदगी जिसका कोई मोल नहीं।
बचपन गया जवानी आयी लेकर आयी जिम्मेदारियाँ।
फिर भी हमने साथ निभायी यारों की यह यारियाँ।
तू ख़ुश रहे हमेशा मैं यही फ़रियाद करूँ।
अपनी इस दोस्ती पर सारे जहाँ की ख़ुशियाँ वार दूँ।
Radhika Khandelwal
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